RBI ने जारी की नई गाइडलाइन, लोन नहीं भरने वालों के लिए लिया फैसला
आरबीआई ने लोन की ईएमआई (EMI) पर पेनल चार्ज और पेनल इंटरेस्ट से जुड़ी नई गाइडलाइंस जारी की हैं जो 1 अक्टूबर 2024 से लागू हो गई हैं। इन नए नियमों से लोन लेने वालों को राहत मिलेगी और बैंकों और फाइनेंस कंपनियों के लिए भी कुछ नई शर्तें होंगी।
नई गाइडलाइंस के मुख्य बिंदु:
1. पेनल इंटरेस्ट पर रोक:
– अब बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को लोन खातों पर पेनल इंटरेस्ट (penal interest) वसूलने की अनुमति नहीं है। यह नियम खासतौर पर उन मामलों में लागू होगा जहां ईएमआई के भुगतान में देरी होती है।
– पेनल इंटरेस्ट को मौजूदा ब्याज दर में जोड़ने की अनुमति नहीं होगी। इसका मतलब है कि लोन पर ज्यादा ब्याज नहीं लगाया जाएगा यदि समय पर ईएमआई का भुगतान नहीं किया जाता है।
2. पेनल चार्ज पर नई दिशा-निर्देश:
– बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को पेनल चार्ज (penal charge) लगाने की अनुमति है, लेकिन यह चार्ज लोन अमाउंट में नहीं जोड़ा जा सकता है और इस पर अतिरिक्त ब्याज की गणना नहीं की जा सकती।
– पेनल चार्ज को लोन के मूलधन में शामिल नहीं किया जा सकेगा।
3. चार्जेस के उद्देश्यों की समीक्षा:
– आरबीआई ने पाया कि कई बैंकों और फाइनेंस कंपनियों ने अतिरिक्त आय प्राप्त करने के लिए पेनल चार्ज और इंटरेस्ट लागू किया था, जो ग्राहकों के लिए समस्याएँ उत्पन्न करता था।
– अब ये चार्जेस केवल लोन अनुशासन बनाए रखने के लिए और ग्राहक को समय पर भुगतान करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से लगाए जा सकेंगे।
पेनल चार्ज और पेनल इंटरेस्ट में अंतर:
– पेनल चार्ज:
– यह एक निश्चित राशि होती है जो लोन खाते में चूक के लिए लागू की जाती है।
– इसे ब्याज में नहीं जोड़ा जाता है और यह लोन के मूलधन से अलग होता है।
– पेनल इंटरेस्ट:
– यह अतिरिक्त ब्याज की दर होती है जो मौजूदा ब्याज दर में जोड़ी जाती है।
– यह लोन की मौजूदा ब्याज दर में बढ़ोतरी करता है और अधिक वित्तीय बोझ डालता है।
इन नई गाइडलाइंस का उद्देश्य लोन की ईएमआई में देरी होने पर ग्राहकों को अधिक बोझ से बचाना और बैंकों द्वारा दंडात्मक शुल्क का अत्यधिक इस्तेमाल रोकना है। अगर आपके पास कोई लोन है या आप लोन लेने का विचार कर रहे हैं, तो ये नए नियम आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।